THURSDAY 01 MAY 2025
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अमेरिका के नए टैरिफ से भारत को रूस से तेल खरीदना क्यों पड़ेगा महंगा?

अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 25% से 50% तक का टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, जिससे भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत ने अब तक अपनी ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित रखा था, लेकिन अगर यह नया कर लागू हुआ, तो तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है।

अमेरिका के नए टैरिफ से भारत को रूस से तेल खरीदना क्यों पड़ेगा महंगा?
रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत ने बीते दो वर्षों में अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ ऊर्जा आपूर्ति को भी सुरक्षित किया है। लेकिन अब अमेरिका की नई नीति से यह समीकरण गड़बड़ा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि उन देशों पर भारी टैरिफ लगाया जा सकता है जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। इस फैसले का सीधा असर भारत पर पड़ेगा, क्योंकि भारत रूस से दुनिया में सबसे ज्यादा तेल आयात करने वाला देश बन चुका है।

भारत के लिए क्यों बढ़ेगी मुश्किल?

यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस से डिस्काउंट पर तेल खरीदना जारी रखा। इससे भारत को कच्चे तेल की लागत कम करने में मदद मिली और पेट्रोल-डीजल की कीमतों को स्थिर रखा गया। लेकिन अब अमेरिका इस रणनीति को कमजोर करने के लिए नया गेम प्लान तैयार कर रहा है।

टैरिफ 25% से 50% तक बढ़ सकता है!

अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह साफ कर दिया है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 25% से 50% तक का अतिरिक्त कर लगाया जा सकता है। इसका सीधा असर भारत की ऊर्जा नीतियों और आयात लागत पर पड़ेगा। अगर अमेरिका यह टैरिफ लागू करता है, तो भारत को रूस से सस्ता तेल खरीदना भी महंगा पड़ सकता है।

अब सवाल उठता है कि अगर अमेरिका यह टैरिफ लागू कर देता है, तो भारत के पास क्या विकल्प बचेंगे? भारत को खाड़ी देशों जैसे सऊदी अरब, UAE और इराक की तरफ देखना होगा, लेकिन वहां तेल की कीमतें अधिक होने के कारण यह विकल्प पूरी तरह से कारगर नहीं होगा। भारत को अब अपने स्वदेशी तेल और गैस उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा स्रोतों (सौर, पवन और बायोफ्यूल) की ओर भी कदम बढ़ाने होंगे। भारत और रूस मिलकर ऐसे व्यापारिक रास्ते खोज सकते हैं, जिससे अमेरिका के टैरिफ से बचा जा सके। इसमें रुपये-रूबल व्यापार और अन्य मुद्राओं में भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।

भारत-अमेरिका संबंधों पर असर?

अमेरिका के इस कदम का असर भारत-अमेरिका व्यापारिक और रणनीतिक संबंधों पर भी पड़ सकता है। अमेरिका लगातार चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए और पश्चिमी देशों के साथ अधिक व्यापार करे। लेकिन भारत ने हमेशा अपनी स्वतंत्र नीति अपनाई है और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है। फिलहाल, यह प्रस्ताव शुरुआती चरण में है और इस पर अमेरिका की सीनेट और अन्य संस्थाओं की मुहर लगनी बाकी है। लेकिन अगर यह लागू हो गया, तो भारत सहित कई देशों को नई रणनीति बनानी पड़ेगी।

भारत के लिए रूस से तेल खरीदना अब पहले जितना आसान नहीं रहेगा। अमेरिका के संभावित टैरिफ से भारत को ऊंची कीमत चुकानी पड़ सकती है, जिससे महंगाई पर असर पड़ सकता है। ऐसे में भारत को अब अपनी ऊर्जा नीति में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि अमेरिका की नीतियों का असर कम से कम हो। अब देखना यह होगा कि भारत इस चुनौती से कैसे निपटता है और अपनी आर्थिक नीतियों को कैसे संतुलित करता है। 
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