'जिसने कलमा सुनाया, उसे छोड़ा...जो नहीं सुन पाया, उसे मार दी गोली', हिंदू प्रोफेसर ने बताई कलमा पढ़ जान बचाने की कहानी
पहलगाम आतंकी हमले में अपनी जान बचाकर वापस लौटे असम यूनिवर्सिटी में बंगाली डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर देवाशीष भट्टाचार्य ने टीवी चैनल न्यूज़ 18 से बातचीत करते हुए अपनी जान बचाने की पूरी कहानी बताई.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई है. बल्कि 17 लोग घायल बताए जा रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों से घूमने आए पर्यटकों को आतंकियों ने उनके धर्म को टारगेट कर निशाना बनाया. इन दहशतगर्दों ने सभी से उनका धर्म पूछा और कलमा पढ़कर सुनाने को कहा, उसके बाद जिसने भी अपना धर्म मुस्लिम बताया और कलमा पढ़ कर सुना दिया उसको बख्श दिया गया. जो नहीं सुना पाया उसे गोली मार दी. दरअसल, आतंकियों ने ऐसा इसलिए किया, ताकि उनके धर्म को पहचाना जा सके. इस हमले में असम के एक हिंदू प्रोफेसर ने कलमा पढ़कर अपनी जान बचाई. असम के एक यूनिवर्सिटी के इस प्रोफेसर ने भी आंखों देखा मंजर का हाल सुनाया. वहीं दूसरी तरफ दो लोगों को गोली इसलिए मार दी गई. क्योंकि वह कलमा नहीं सुना पाए. अपने पिता और चाचा को खोने वाले शख्स ने इस घटना की पूरी कहानी सुनाई.
कलमा पढ़कर असम के हिंदू प्रोफेसर ने बचाई अपनी जान
पहलगाम आतंकी हमले में कलमा पढ़कर अपनी जान बचाकर लौटे असम यूनिवर्सिटी में बंगाली डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर देवाशीष भट्टाचार्य ने टीवी चैनल न्यूज़ 18 से बातचीत करते बताया कि "उन्हें आतंकियों ने गोली नहीं मारी. क्योंकि वह कलमा पढ़ सकते थे. मैं घटना के समय अपने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे लेटा हुआ था. इस दौरान मैंने सुना के आसपास के लोग कलमा पढ़ रहे हैं. यह सुनकर मैंने भी पढ़ना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में आतंकी मेरी तरफ बढ़ा और मेरे बगल वाले शख्स के सिर में गोली मार दी. उसके बाद आतंकी ने मेरी तरफ देखा और पूछा क्या कर रहे हो. उसके बाद मैं और तेजी से कलमा पढ़ने लगा. उसके बाद वह किसी वजह से मुड़कर चला गया. जैसे ही मुझे मौका मिला. मैं अपनी पत्नी और बेटी के साथ वहां से छिपकर निकल गया. मैं करीब लगातार 2 घंटे तक चलता रहा. हमने घोड़ों के पैरों के निशान को फॉलो किया. इसके बाद वहां से निकलते ही हम होटल की तरफ चले गए. हमें यकीन नहीं हो रहा है कि हम जिंदा है."
मेरे पिता और चाचा कलमा नहीं सुना पाए, तो मार दी गोली - मृतक का बेटा
अधिकारियों की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के पुणे से घूमने आए दो व्यापारियों की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. दोनों का नाम संतोष जगदाले और कौस्तुभ गणबोटे था. इस हमले में मारे गए मृतक के बेटे ने बताया कि उनके पिता और चाचा को बेताब घाटी में आतंकियों ने गोली मार दी. आतंकियों ने मेरे पिता को कलमा सुनाने को कहा, जब वह नहीं सुना पाए. तो उन्होंने मेरे पिता पर तीन गोलियां चलाई. एक सिर पर एक कान और एक पीठ पर गोली मारी. पुणे के एक कारोबारी की बेटी ने भी यह दावा किया है कि आतंकियों ने धर्म पूछ कर हमला किया है. उन्होंने महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को निशाना बनाया.
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