सुप्रीम कोर्ट के सभी जज अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करेंगे! 30 जजों ने वेबसाइट पर डाली संपत्ति का ब्यौरा!
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 34 हैं। लेकिन इनमें एक पद खाली है। इन सभी में से 30 लोगों ने संपत्ति की घोषणा पत्र कोर्ट में दे दिया है।

न्यायपालिका में ट्रांसपेरेंसी बनाए रखने के खातिर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने का फैसला किया है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों ने लिया है। इसके मुताबिक जो भी जज सुप्रीम कोर्ट का पदभार संभालेगा। उसे अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा। इसमें CJI और जज अपनी खुद की इच्छा से सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर संपत्तियों का ब्यौरा सार्वजनिक करेंगे। इस पहल की शुरुआत हो गई है।
30 जजों ने एक साथ अपनी संपत्तियों का ब्यौरा सार्वजनिक किया
खबरों के मुताबिक 1 अप्रैल को हुई मीटिंग में चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया संजीव खन्ना की मौजूदगी में कुल 30 जजों ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक किया है। इनमें मुख्य जजों में बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एस ओक, जस्टिस जेके माहेश्वरी और बीवी नागरत्ना जैसे कई जज शामिल हैं। सभी ने अपनी संपत्ति का पूरा डाटा सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड किया है।
सुप्रीम कोर्ट में जजों की निर्धारित संख्या 34
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 34 हैं। लेकिन इनमें एक पद खाली है। इनमें 30 लोगों ने संपत्ति की घोषणा पत्र कोर्ट में दे दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने संपत्तियों को सार्वजनिक करने का फैसला क्यों लिया ?
दरअसल, यह फैसला इसलिए लिया गया। क्योंकि हाल ही में 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर करोड़ों के कैश और जले अधजले नोट बरामद हुए थे। जले हुए नोटों की गड्डियां फायर ब्रिगेड की टीम ने देखी थी। जिसके बाद विवाद शुरू हो गया और CJI खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ 22 मार्च को मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय आंतरिक टीम गठित की। यशवंत वर्मा से 23 मार्च को दिल्ली हाइकोर्ट ने पदभार वापस ले लिया। देशभर में सुप्रीम कोर्ट के जजों को लेकर लोगों का विश्वास खत्म सा हो गया था। यही वजह रहा कि जजों ने देश की जनता का विश्वास जीतने की खातिर इस फैसले पर मुहर लगाई।
यशवंत वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट हुए ट्रांसफर
कैश मामले में बुरी तरीके से घिर चुके यशवंत वर्मा का 23 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश और राष्ट्रपति के आदेश के बाद हुआ। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को यह आदेश मिला है कि यशवंत वर्मा कोई न्यायिक काम नहीं करेंगे। वहीं जल्द ही इस मामले को लेकर यशवंत वर्मा की पेशी हो सकती है।
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