SATURDAY 03 MAY 2025
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महाकुंभ के ज़रिए योगी को बदनाम करने की थी साज़िश, नक़ली नोटों की छपाई का असली खेल समझिए ?

प्रयागराज: महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से शुरु हो रहा है, लेकिन उससे पहले ही प्रयागराज से अचानक एक ख़बर आती है, जिसे सुनकर सब चौंक गए, क्योंकि एक मदरसे में नक़ली नोटों की धड़ाधड़ छपाई हो रही थी और निशाने पर महाकुंभ था, जिसके ज़रिए योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही थी, कैसे, विस्तार से समझिए।

महाकुंभ के ज़रिए योगी को बदनाम करने की थी साज़िश, नक़ली नोटों की छपाई का असली खेल समझिए ?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से अचानक एक ख़बर आती है, जिसे सुनकर चौंकना लाज़मी था, क्योंकि मदरसे के एक खाली कमरे में, बच्चों की छुट्टी के बाद रातभर सौ-सौ के नोटों की धड़ाधड़ छपाई की जा रही थी। निशाने पर महाकुंभ था, और योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश की जा रही थी। मौलवी ने कैसे महाकुंभ के ज़रिए योगी को हटाने का जाल बिछाया, जानिए नकली नोटों का असली खेल क्या है।

सीएम योगी की कुर्सी छिनने का था प्लान 

एक दिन में 20 हजार रुपये के नकली नोट छापकर ज़ख़ीरा तैयार किया जा रहा था और निशाने पर महाकुंभ मेला था, जिसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हो रही है। साज़िश के तहत नकली नोटों को महाकुंभ मेले में ही खपाने का प्लान था। ऐसे में सवाल उठता है:क्या नकली नोटों के ज़रिए महाकुंभ में स्लीपर सेल तैयार करने का प्लान था? क्या नकली नोटों के ज़रिए महाकुंभ को दहलाने की कोशिश थी? क्या महाकुंभ को बवाल कर योगी सरकार को बदनाम करने का प्लान था?

ये सब सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि महाकुंभ सीएम योगी के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। वह महाकुंभ के ज़रिए दुनिया को हिंदुत्व का संदेश पहुंचाते हैं और यह बात जगज़ाहिर है कि सीएम योगी से कट्टरपंथी किस कदर नफरत करते हैं। इसीलिए शायद इस प्लान की तैयारी की गई थी, लेकिन प्लान को अंजाम देने से पहले ही पुलिस ने इन्हें धर दबोचा। पुलिस ने मदरसे में छापेमारी कर मौलवी सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए जालसाज़ों में मौलवी मोहम्मद तफ्सीरूल, जाहिर खान, मोहम्मद शाहिद, और मोहम्मद अफजल शामिल हैं। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि-  वे एक दिन में 20 हजार रुपये के नोट छापते हैं और आस-पास के मार्केट में नोट चलाते हैं। नोट चलाने वालों को 100 रुपये के एक असली नोट के बदले 3 नकली नोट देते थे। पिछले 3 महीने से ये काम कर रहे हैं।

वहीं इतने बड़े खुलासे के बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भी कमान संभाल ली है और जांच शुरू कर दी गई है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं इस रैकेट के तार किसी आतंकी संगठन या इंटरनेशनल ग्रुप से तो नहीं जुड़े हैं, क्योंकि इन जालसाज़ों के पास से महाकुंभ से जुड़े तमाम लिंक मिले हैं। ऐसे में अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि महाकुंभ के लिए बड़ी तैयारी थी और इसके ज़रिए योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश थी।

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