हरियाणा की इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत तय ! बीजेपी-कांग्रेस की उड़ी नींद
हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है । हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर में लड़ाई होने जा रही है । लेकिन इन दिनों में जिसकी जीत की सबसे ज़्यादा संभावना है। वो है निर्दल प्रत्याशी कुमुदनी । कुमुदनी साल 2019 में बादशाहपुर विधानसभा से निर्दल कैंडिडेट के रूप में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे राकेश दौलताबाद की पत्नी हैं । राकेश दौलताबाद की हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। जिसकी वजह से इस बार उनकी पत्नी चुनावी मैदान में हैं।

दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा और पाकिस्तान से सटे जम्मू-कश्मीर में चुनावी बिगुल बज चुका है | बीते महीने चुनाव आयोग द्वारा तारीखों का ऐलान होते ही प्रचार-प्रसार का दौर शुरू हो चुका है | दोनों ही राज्यों की लड़ाई बड़ी मजेदार होने वाली है | जहां एक तरफ हरियाणा में बीजेपी अपनी सत्ता बचाने की लड़ाई लड़ रही है, तो वहीं दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव होने जा रहे हैं | बीते 10 सालों के अंदर कश्मीर की तस्वीर मोदी ने जिस तरीके से बदली है ऐसे में देश की जनता को उम्मीद है कि जम्मू- कश्मीर का परिणाम हर बार की तरह से कुछ अलग होगा | वहीं हरियाणा का चुनाव भी काफी दिलचस्प होने वाला है | लेकिन सभी विधानसभा सीटों को छोड़कर हर किसी की नज़र एक ऐसी सीट पर है जहां मैदान में तो कुल 15 खिलाड़ी हैं, लेकिन असल लड़ाई सिर्फ 3 के बीच है | और इन तीनों में भी जीत की दावेदारी सबसे ज्यादा निर्दल प्रत्याशी की है | जिसके आगे बीजेपी और कांग्रेस के भी प्रत्याशी घुटने टेकते नजर आ रहे हैं | इनमें बीजेपी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री को टिकट दिया है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने युवा चेहरे को उतारा है | तो चलिए आपको बताते हैं कि हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा सीट बादशाहपुर में कैसी है लड़ाई और कौन है निर्दल प्रत्याशी जिसने बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर दे रखा है |
कौन है निर्दल प्रत्याशी कुमुदनी?
कुमुदनी हरियाणा की बादशाहपुर विधानसभा से साल 2019 में विधायक बने स्वर्गीय राकेश दौलताबाद की पत्नी हैं | बता दें कि इसी साल लोकसभा चुनाव के दौरान राकेश दौलताबाद की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी |
कुमुदनी पहली बार चुनावी मैदान में है | कुमुदनी ने बीजेपी से इस सीट से टिकट की मांग की थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला | जिसकी वजह से उन्होंने निर्दल लड़ने का फैसला किया | कुमुदनी ने मुक़ाबला काफी रोमांचक बना दिया है, क्योंकि इस सीट पर पहले से ही इनके पति का दबदबा था और उनकी मौत के बाद यहां के वोटर्स की सहानुभूति साथ है, जिसकी वजह से लड़ाई मजेदार है | इस सीट पर कुल 15 प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन सोमवार को नामांकन है और ऐसे में ये तय हो जाएगा कि कितने प्रत्याशी अपना नामांकन वापस लेते हैं और कितने लड़ाई लड़ने को तैयार हैं |
इन जातियों के वोटर्स का है बड़ा प्रभाव !
आपको बता दें कि हरियाणा की किसी भी विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा वोटर बादशाहपुर विधानसभा में हैं | इनमें 5 लाख 5 हज़ार 789 वोटर्स हैं | जिनमें 2 लाख 25 हज़ार 537 वोटर पुरुष और 2 लाख 5 हज़ार 335 वोटर्स महिला हैं, 21 थर्ड जेंडर मतदाता हैं | वर्तमान बीजेपी प्रत्याशी राव नरबीर सिंह इस सीट से पहले विधायक रह चुके हैं, लेकिन 2019 में वो टिकट मांग रहे थे और उन्हें टिकट नहीं मिला था | लेकिन इस बार फिर से वो बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं | इस विधानसभा में सबसे ज्यादा यादव वोटर्स हैं | वहीं कांग्रेस ने युवा चेहरा वर्धन यादव को उतारा है | वर्धन यादव यादव वोटर्स में सेंध लगाते नज़र आएंगे | इसके अलावा धनवापुर, दौलताबाद और कई गांवों में जाट वोटर्स का बड़ा प्रभाव है और इन वोटर्स की सहानुभूति निर्दलीय प्रत्याशी की जीत में बड़ी भूमिका निभाएगा |
असली लड़ाई 15 नहीं सिर्फ 3 के बीच
इस सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय होने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि बीजेपी ने जिसे उतारा है वो यहां से पहले विधायक रह चुके हैं और अनुभवी खिलाड़ी हैं | इसके साथ कांग्रेस ने युवा चेहरे पर दांव लगाया है | ऐसे में युवा वोटर्स कुछ इनकी तरफ भी आएंगे | तीसरा, निर्दल प्रत्याशी कुमुदनी इन दोनों से तगड़ी फाइट करती नज़र आएंगी | आम आदमी पार्टी ने यहां से प्रत्याशी उतारा है, लेकिन उनकी चर्चा बहुत कम है | कुल मिला के देखा जाए, तो निर्दलीय प्रत्याशी ने कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों की धड़कनें तेज कर रखी है और लड़ाई बड़ी कांटेदार होने वाली है |