पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर Direct Route, मोदी सरकार ने कर दिया बड़ा ऐलान
कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने की खबर के बीच शिवभक्तों के लिए एक और बड़ी खबर आई है. पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर जाने वाले मार्ग पर सरकार ने बड़ा अपडेट दिया है.

ये नया भारत है आज का भारत है और आज के भारत को पूरी दुनिया सुनती है। चीन भी इस बात को बेहतर जानता है। इसीलिए तो PM मोदी से बातचीत के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा को फिर शुरू करने की हरी झंडी दे दी। 5 साल बाद अब जल्द ही शिवभक्त फिर से कैलाश मानसरोवर की यात्रा करेंगे। माना जा रहा है साल 2025 की ही गर्मियों में यात्रा शुरू भी हो जाएगी। इस यात्रा से जुड़ी एक औऱ बड़ी खुशखबरी मिली है।
विदेश मंत्रालय के बाद सड़क मंत्रालय ने दिया अपडेट ।कैलाश मानसरोवर यात्रा अब और होगी आसान। शिवभक्तों के लिए सरकार ने कर दिए इंतजाम।
कैलाश मानसरोवर तक जाने के लिए भारत अपना रास्ता तैयार कर रहा है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया है कि इस रास्ते को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जल्द ही शिव भक्तों को ये सौगात मिल जाएगी। दरअसल, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते का निर्माण कार्य पूरी रफ्तार से चल रहा है।एक साल में ये मार्ग तैयार भी हो जाएगा। जिसके बाद चीन या नेपाल के रास्ते जाने की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि ये रास्ता पिथौरागढ़ से सीधे कैलाश पर्वत तक जाएगा।नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में इस रास्ते का जिक्र करते हुए कहा कि, कैलाश मानसरोवर यात्रा के शुरू होने की खुशखबरी तो आपको मिल गई उससे भी बड़ी खुशखबरी ये है कि अब मानसरोवर जाने के लिए चीन और नेपाल के रास्ते की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पिथौरागढ़ टू कैलाश मानसरोवर तक इस डायरेक्ट मार्ग का लगभग 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है। ये रूट शुरू होने के बाद श्रद्धालुओं की यात्रा और भी आसान हो जाएगी। यात्रा में समय भी कम लगेगा और दिक्कतें भी ना के बराबर रह जाएंगी।
अभी कैलाश मानसरोवर की यात्रा चीन और नेपाल के जरिए होती है. इसे पूरा में 15 से 20 दिन लगते हैं। ये रास्ता काफी मुश्किल और चुनौतियों से भरा है। ऊंचाई ज्यादा होने से स्वस्थ लोग ही यात्रा कर सकते हैं साथ ही भूस्खलन का भी खतरा बना रहता है। साल 1998 में इस रास्ते पर भूस्खलन के बाद 180 लोगों की मौत हो गई थी।
ऐसा होगा पिथौरागढ़ से कैलाश मानसरोवर डायरेक्ट मार्ग ?
तीन खंडों में बांटा गया है ये मार्ग ।पहला खंड पिथौरागढ़ से तवाघाट तक है ।ये मार्ग 107.6 किलोमीटर तक लंबा है। दूसरा खंड तवाघाट से घाटियाबगढ़ तक है। ये 19.5 किलोमीटर तक डबल लेन सड़क है।तीसरे खंड में घाटियाबगढ़ से लिपुलेख दर्रा तक 80 किमी. का पैदल मार्ग है ।नए मार्ग में चीन की 35 किलोमीटर सड़क का ही इस्तेमाल होगा।
कैलाश मानसरोवर का ज्यादातर क्षेत्र तिब्बत के इलाके में आता है और तिब्बत पर चीन ने जबरन कब्जा किया है।साल 2019 में कोविड की पहली लहर में कैलाश मानसरोवर यात्रा पर ब्रेक लग गया था। इसके बाद 2020 में डोकलाम विवाद, सीमा पर चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प के बाद यात्रा पर रोक लग गई।लेकिन एक बार फिर दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधार की ओर बढ़ रहे हैं।
तिब्बत की पर्वतमालाओं के बीच बसा कैलाश मानसरोवर ना केवल हिंदू बल्कि जैन धर्मावलंबियों के लिए भी खास महत्व रखता है। कहा जाता है कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर है। हिंदू पुराणों के अनुसार, शिव यहां पत्नी पार्वती के साथ रहते थे। हिंदू धर्म के 4 वेदों में भी कैलाश मानसरोवर का जिक्र है।ऐसे में भला भगवान शिव के अनंत अनादि स्वरूप के दर्शन करने से श्रद्धालुओं को कौन रोक सकता है। चीन भी नहीं रोक पाया।और अब भारत के अपने मार्ग के साथ शिवभक्तों की यात्रा बेहद सुगम और सुरक्षित भी हो जाएगी।
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