उत्तराखंड जाने वाले सावधान! टूरिस्ट व्हीकल के लिए बदले ड्राइविंग नियम, लेना होगा ‘हिल एंडोर्समेंट’ सर्टिफिकेट
उत्तराखंड में पहाड़ों पर बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकार ने नया नियम लागू किया है। अब किसी भी बाहरी ड्राइवर को पहाड़ों में गाड़ी चलाने से पहले एक अनिवार्य हिल एंडोर्समेंट टेस्ट देना होगा। यह टेस्ट ऋषिकेश या देहरादून में आयोजित होगा, जिसमें ड्राइवर की क्षमता परखी जाएगी।

अगर आप उत्तराखंड घूमने का प्लान बना रहे हैं और अपने वाहन से सफर करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। अब उत्तराखंड की संकरी, घुमावदार और खतरनाक पहाड़ी सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए सरकार ने एक नया नियम लागू करने का फैसला किया है। इस नियम के तहत, बाहर से आने वाले टूरिस्ट वाहन चालकों को हिल एंडोर्समेंट टेस्ट (Hill Endorsement Test) पास करना अनिवार्य होगा। यह टेस्ट पास करने के बाद ही ड्राइवर को पहाड़ों पर वाहन चलाने की अनुमति दी जाएगी।
यह नियम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार द्वारा लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य चार धाम यात्रा और अन्य पर्यटन स्थलों पर बढ़ते सड़क हादसों को रोकना है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह नई व्यवस्था जल्द ही लागू की जाएगी ताकि उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
क्यों लिया गया यह फैसला?
उत्तराखंड की पहाड़ी सड़कें बेहद कठिन और खतरनाक मानी जाती हैं। हर साल यहां सैकड़ों सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें से ज्यादातर हादसे बाहरी राज्यों से आने वाले अनुभवहीन ड्राइवरों की लापरवाही से होते हैं। कई बार ऐसे वाहन चालक जो पहाड़ी रास्तों के अभ्यस्त नहीं होते, वे ब्रेकिंग सिस्टम, ढलान पर गियर कंट्रोल और तेज मोड़ों को ठीक से संभाल नहीं पाते। परिणामस्वरूप, गाड़ी खाई में गिरने जैसी गंभीर दुर्घटनाएं हो जाती हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने निर्णय लिया है कि अब हर बाहरी वाहन चालक को पहाड़ों पर गाड़ी चलाने के लिए एक विशेष ड्राइविंग टेस्ट पास करना होगा। इस टेस्ट को पास करने के बाद ही हिल एंडोर्समेंट सर्टिफिकेट (Hill Endorsement Certificate) मिलेगा, जो ड्राइवर की पहाड़ों पर गाड़ी चलाने की क्षमता को प्रमाणित करेगा।
कैसे होगा हिल एंडोर्समेंट टेस्ट?
अब कोई भी बाहरी ड्राइवर जो उत्तराखंड में पहाड़ों पर वाहन चलाना चाहता है, उसे कुछ प्रक्रिया से गुजरना होगा। सबसे पहले ड्राइवर को उत्तराखंड परिवहन विभाग की वेबसाइट पर जाकर हिल एंडोर्समेंट टेस्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के दौरान कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे, जिनमें ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का पंजीकरण प्रमाणपत्र (RC), बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट शामिल होंगे। आवेदन करने के बाद ड्राइवर को उत्तराखंड के ऋषिकेश या देहरादून में बने विशेष ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर जाकर परीक्षा देनी होगी। इस टेस्ट के दौरान ड्राइवर को पहाड़ी रास्तों पर गाड़ी चलाने के टेक्निकल स्किल्स को जांचा जाएगा। जैसे ढलान पर गियर कंट्रोल, घुमावदार मोड़ों पर ब्रेकिंग टेक्नीक, संकरी सड़कों पर बैलेंस और नियंत्रण, रिवर्स ड्राइविंग क्षमता और चढ़ाई और ढलान पर वाहन रोकने की क्षमता। अगर ड्राइवर टेस्ट पास कर लेता है, तो उसे हिल एंडोर्समेंट सर्टिफिकेट दिया जाएगा। यह सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा और इसके बिना बाहरी वाहन चालकों को उत्तराखंड की पहाड़ी सड़कों पर गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं मिलेगी।
क्या फायदा होगा इस नए नियम से?
अनुभवी और प्रशिक्षित ड्राइवरों को ही पहाड़ों पर गाड़ी चलाने की अनुमति मिलेगी, जिससे सड़क हादसों की संख्या घटेगी। चार धाम यात्रा और अन्य धार्मिक पर्यटन स्थलों की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा बढ़ेगी। बीमा कंपनियां दुर्घटना के मामलों में हिल एंडोर्समेंट सर्टिफिकेट की जांच करेंगी। यदि ड्राइवर के पास यह सर्टिफिकेट होगा, तो उसका बीमा क्लेम जल्दी और आसानी से पास हो जाएगा। सिर्फ ड्राइवर ही नहीं, बल्कि टूरिस्ट वाहनों को भी फिटनेस टेस्ट पास करना होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि गाड़ी पहाड़ों की कठिन परिस्थितियों में चलने योग्य है या नहीं।
हालांकि यह नियम सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं। नए नियम लागू होने के बाद बाहरी राज्यों के ड्राइवरों को पहाड़ी ड्राइविंग सीखने के लिए विशेष ट्रेनिंग लेनी होगी। हर साल लाखों टूरिस्ट उत्तराखंड आते हैं, ऐसे में हिल एंडोर्समेंट टेस्टिंग व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करना सरकार के लिए एक चुनौती हो सकती है। पर्यटक सीजन में भारी संख्या में आवेदन आ सकते हैं, जिससे ऑनलाइन आवेदन और टेस्ट देने की प्रक्रिया में देरी हो सकती है।
नियम कब से लागू होगा?
सरकार की योजना है कि यह नियम चार धाम यात्रा शुरू होने से पहले लागू कर दिया जाए। उत्तराखंड सरकार चाहती है कि यात्रा के दौरान बाहरी राज्यों के अनुभवहीन वाहन चालकों की वजह से कोई बड़ा हादसा न हो। इसी कारण परिवहन विभाग इस नियम को जल्द से जल्द प्रभावी करने की तैयारी में है। वैसे आपको बता दें कि फिलहाल यह नियम सिर्फ बाहरी राज्यों से आने वाले कमर्शियल वाहन चालकों पर लागू किया जाएगा। स्थानीय ड्राइवरों को इससे छूट मिलेगी क्योंकि वे पहले से ही पहाड़ी ड्राइविंग के अभ्यस्त होते हैं।
उत्तराखंड सरकार का यह नया नियम पहाड़ी सड़कों पर बढ़ते हादसों को रोकने के लिए एक अहम कदम है। अब बिना अनुभव के किसी भी बाहरी ड्राइवर को पहाड़ों पर वाहन चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस नियम से दुर्घटनाओं की संख्या घटेगी, यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी और टूरिज्म सेक्टर में एक सकारात्मक बदलाव आएगा। हालांकि इसे लागू करने में कुछ चुनौतियाँ होंगी, लेकिन अगर सही तरीके से यह नियम लागू होते हैं तो यह उत्तराखंड की परिवहन व्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक फैसला साबित होगा।
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