FRIDAY 02 MAY 2025
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सऊदी अरब की पेशकश को किसने ठुकराई ? मस्जिद के नाम पर दिखाया आईना

इस्लाम के सबसे पवित्र स्थानों की मेजबानी करने वाला सऊदी अरब ख़ुद में सबसे बड़ा ताकतवार देश है लेकिन आज इसी ताक़त को चैलेंज किया जा रहा है। सऊदी अरब की पेशकेश को ठुकराया जा रहा है। मस्जिद के नाम पर सऊदी सरकार को ठेंगा दिखाया जा रहा है। कौन है वो देश, जिसने सऊदी अरब को आईना दिखाने की कोशिश की है और इसका हिंदू बहुल भारत से क्या कनेक्शन है ?

सऊदी अरब की पेशकश को किसने ठुकराई ? मस्जिद  के नाम पर दिखाया आईना

भारत से कोसो मील दूर बैठा सऊदी अरब दुनिया के नक़्शे पर मौजूदा एक ऐसा मुल्क है, जिसके नाम का डंका खाड़ी देशों में बजता है। प्राकृतिक संसाधनों के पिटारे से पटे इस मुल्क की युवा पीढ़ी ख़ुद को आने वाले समय के लिए तैयार कर रही है। रूढ़िवादी सोच को कुचलकर आज का सऊदी अरब मॉर्डनाइजेशन और संस्कृति, दोनों को साथ-साथ लेकर चल रहा है। मुल्क के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान विजन 2030 के तहत एक नया सऊदी अरब बना रहे हैं। इस्लाम के सबसे पवित्र स्थानों की मेजबानी करने वाला सऊदी अरब ख़ुद में सबसे बड़ा ताकतवार देश है लेकिन आज इसी ताक़त को चैलेंज किया जा रहा है। सऊदी अरब की पेशकेश को ठुकराया जा रहा है। मस्जिद के नाम पर सऊदी सरकार को ठेंगा दिखाया जा रहा है। कौन है वो देश, जिसने सऊदी अरब को आईना दिखाने की कोशिश की है और इसका हिंदू बहुल भारत से क्या कनेक्शन है ? 

गल्फ देशों में शुमार सऊदी अरब जहां की रेगिस्तानी ज़मीन इस्लाम की जन्मस्थली मानी गई क्योंकि यहाँ मौजूद मक्का मदीना मुसलमानों का एक ऐसी तीर्थ स्थल है, जहां जाने की हसरत दुनिया के हर मुसलमान के दिल में होती है। इस्लाम की दुनिया में मक्का मदीना का क्या अस्तित्व है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइये, आज से लगभग 1400 साल पहले मक्का की बुनियाद रखने वाले कोई और नहीं बल्कि ख़ुद पैग़ंबर मोहम्मद रहे। चारों तरफ़ मस्जिदों से घिरे मक्का में होने वाली हज यात्रा में आज भी लाखों की संख्या में मुसलमानों की भीड़ उमड़ती है। यहाँ आकर अल्ला की इबादत करना। पैगंबर के पद चिन्हों के दर्शन करना और हज यात्रा में शामिल होना। दुनिया के प्रत्येक मुसलमान के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है हालाँकि सऊदी अरब को सिर्फ़ धार्मिक चश्मे से ही नहीं आँका जा सकता है, सऊदी की ताक़त ऐसी है कि ग्लोबल फायरपावर देशों की लिस्ट में सऊदी अरब 24 वें स्थान पर है। सऊदी के ख़ुद के एक्टिव सैनिक 257000 हैं। अर्धसैनिक बलों की संख्या 150000 हैं, 840 के क़रीब टैंक हैं। 332 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी हैं, 467 टो आर्टिलरी, 321 रॉकेट लॉन्च और 283 लड़ाकू विमान हथियारों का अच्छा ख़ासा ज़ख़ीरा है। यही कारण है कि कोई भी मुस्लिम देश सऊदी अरब से टकराने की कोशिश नहीं करता है। गल्फ़ देशों के ज़्यादा तक मुस्लिम देश सऊदी के आगे झुक रहते हैं लेकिन इन सबके बीच एक देश ऐसा है, जिसने सऊदी सरकार के ऑफ़र को ठुकराना है मतलब ये कि सऊदी की पेशकश को ठुकराई है। 


पश्चिमी अफ़्रीका का मुस्लिम बहुल देश बुर्किना फासो कहने को तो छोटा सा देश है, लेकिन सऊदी से पंगा लेने में इस वक़्त सबसे आगे हैं। दरअसल बुर्किना फासो को सऊदी अरब की तरफ़ से 200 मस्जिदों के निर्माण की पेशकश हुई। सऊदी अरब की तरफ से  बुर्किना फासो  में 200 मस्जिदें बनाई जानी थी, जिसे ऐन मौक़े पर बुर्किना फासो के राष्ट्रपति कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ने ठुकरा दिया। सऊदी अरब के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए राष्ट्रपति कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ने सऊदी सरकार से मस्जिदों की बजाय स्कूलों, अस्पतालों और रोजगार सृजन करने वाले व्यवसायों में निवेश करने की गुज़ारिश की है..राष्ट्रपति कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे ख़ुद के मुल्क में मस्जिदों की बजाए। बुनियादी जरूरतों से जुड़े ढाँचों को खड़ा करना चाहते हैं। वो ये सोचते हैं कि देश को ऐसे बुनियादी ढांचे की जरूरत है, जो बुर्किनाबे लोगों के जीवन को सीधे तौर पर बेहतर बना सके और देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दें। इतना ही नहीं उन्होंने आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से वित्तीय सहायता लेने से इंकार कर दिया है और घरेलू संसाधनों के उपयोग पर जोर दिया है। राष्ट्रपति ट्रोरे ने मस्जिद निर्माण की जो पेशकश ठुकराई है, उस पर सऊदी सरकार का रिएक्शन फ़िलहाल को सामने नहीं आया है लेकिन उनके इस क़दम की तारीख़ हर जगह हो रही है। अब यहाँ गौर करने वाली बात ये है कि मस्जिदों की रेस में इंडोनेशिया सबसे आगे हैं, जहां क़रीब 10 लाख मस्जिदें हैं और दूसरे नंबर पर भारत है, जहां 17 करोड़ मुस्लिम आबादी के बीच 10 लाख मस्जिदें हैं। पीएम मोदी के नक़्शे कदमों पर चल रहे बुर्किना फासो के राष्ट्रपति कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे मुल्क की भलाई मस्जिदों की बजाए बुनियादी ढाँचों में देख रहे हैं लेकिन क्या उनका ये फैसला उचित है ?

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