सड़क हादसों की वजह बन रहा है Google Maps? कंपनी ने तोड़ी चुप्पी, बताई भारत की सच्चाई
हाल के वर्षों में गूगल मैप की गलत दिशाओं के चलते कई लोगों को खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा, कुछ मामलों में हादसे भी हुए। हालांकि कंपनी भारत के लिए विशेष फीचर्स और AI तकनीक के जरिए सुधार की कोशिश कर रही है। साथ ही, गूगल ने यह भी बताया कि वह हर दिन लाखों अपडेट करता है और ट्रैफिक पुलिस के साथ भी सहयोग कर रहा है।

क्या आपने कभी गूगल मैप्स की बात मानकर रास्ता लिया और वह रास्ता सुनसान, खतरनाक या पानी से भरा निकला? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। भारत में हाल के वर्षों में कई ऐसे हादसे सामने आए हैं जहां गूगल मैप की दिशा-निर्देशों की वजह से लोग गलती से ऐसी सड़कों पर पहुंच गए, जो खतरनाक साबित हुईं। इनमें से कुछ घटनाएं तो जानलेवा भी साबित हुईं।
अब इस गंभीर सवाल पर गूगल ने पहली बार जवाब दिया है। जब इस मुद्दे को लेकर गूगल से संपर्क किया, तो कंपनी ने खुलकर माना कि भारत में गूगल मैप्स की सीमाएं हैं, लेकिन इसके पीछे की वजहें जितनी तकनीकी हैं, उतनी ही सामाजिक और भौगोलिक भी हैं। गूगल के प्रवक्ता ने बताया कि भारत एक "बहुत बड़ा, बहुत तेजी से बदलने वाला और विविधता से भरा देश" है। यहां की सड़कें, ट्रैफिक पैटर्न, मौसम की स्थिति और यहां तक कि सड़क की चौड़ाई भी कुछ घंटों के अंदर बदल सकती है। इस अस्थिरता के चलते गूगल मैप्स की AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को भी ग़लतियां हो जाती हैं।
गूगल ने साफ किया कि वह भारत के लिए एक "कस्टमाइज़्ड" अनुभव देने की कोशिश कर रहा है, लेकिन तकनीक और ज़मीनी हकीकत के बीच अब भी एक फासला है।
हादसे क्यों होते हैं?
गूगल मैप्स आमतौर पर आपको "सबसे तेज़" रास्ता दिखाता है, न कि "सबसे सुरक्षित"। भारत जैसे देश में यह एक बड़ी समस्या है। यहाँ कई ग्रामीण या संकरी सड़कें भले ही ट्रैफिक से मुक्त हों, लेकिन असुरक्षित हो सकती हैं। कभी वो रास्ता नदियों के पास से जाता है, कभी निर्माणाधीन पुल से, और कभी सुनसान जंगल के बीच से। इन हालात में जब लोग अंधविश्वास की तरह मैप्स की हर बात मान लेते हैं, तो हादसे हो जाते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में ऐसे मामले सामने आए जहां लोग गूगल मैप के भरोसे ऐसी जगह पहुंच गए जहाँ सड़क थी ही नहीं या पानी भरा हुआ था।
हालांकि गूगल ने दावा किया है कि वह भारत में पिछले 10 सालों से गूगल मैप को लोकल लेवल पर बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है। कंपनी ने अब तक 70 लाख किलोमीटर सड़कों, 30 करोड़ इमारतों, और 3.5 करोड़ दुकानों और जगहों को मैप कर लिया है। गूगल कहता है कि वह अब AI तकनीक, सैटेलाइट इमेजरी, स्ट्रीट व्यू फोटोज, और सरकारी सहयोग से अपने डेटा को अप-टू-डेट रखता है। हर दिन लाखों बार मैप अपडेट होता है और इसमें 60 मिलियन से ज्यादा भारतीय यूजर्स खुद भी जानकारी देकर मदद करते हैं।
भारत में पहली बार लॉन्च हुए ये फीचर्स
भारत में गूगल ने दुनिया में सबसे पहले कुछ फीचर्स शुरू किए हैं, जो इस देश की ज़रूरतों को देखते हुए बनाए गए हैं।
लैंडमार्क नेविगेशन: नाम नहीं, आस-पास की मशहूर इमारतों से रास्ता बताना
ऑफलाइन मैप: बिना इंटरनेट के भी नेविगेशन
टू-व्हीलर मोड: स्कूटर और बाइक के लिए विशेष दिशा-निर्देश
EV चार्जिंग स्टेशन लोकेटर: इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए चार्जिंग पॉइंट की जानकारी
पब्लिक ट्रांसपोर्ट इंटीग्रेशन: मेट्रो, बस और लोकल ट्रेनों की रियल टाइम जानकारी
गूगल ने कोच्चि और चेन्नई जैसे शहरों में ONDC और नम्मा यात्री जैसे लोकल प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर टिकट बुकिंग की सुविधा भी शुरू कर दी है, जहां लोग सीधे गूगल मैप से टिकट खरीद सकते हैं।
गूगल ने बताया कि वह भारत के कई राज्यों की ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि खास मौकों पर, जैसे G20 सम्मेलन (दिल्ली), क्रिकेट वर्ल्ड कप (अहमदाबाद, मुंबई, चेन्नई आदि), दुर्गा पूजा (कोलकाता), कुंभ मेला जैसे आयोजनों के दौरान ट्रैफिक में बदलाव की जानकारी रियल टाइम में मैप पर अपडेट हो सके।
इसके अलावा गूगल ने हाल ही में दो नए अलर्ट फीचर जोड़े हैं कोहरे की चेतावनी (Fog Alert), पानी भरी सड़कों की जानकारी (Waterlogged Road Alert)। इसके साथ-साथ, अब सड़क हादसों की रिपोर्ट करना पहले से आसान कर दिया गया है ताकि लोग तुरंत जानकारी देकर दूसरों को बचा सकें। इस बीच गूगल ने स्वीकार किया है कि उसकी प्रणाली पूरी तरह परफेक्ट नहीं है। लेकिन कंपनी का कहना है कि वह हर दिन यूजर्स की फीडबैक को गंभीरता से ले रही है और लगातार अपनी तकनीक में सुधार कर रही है। कंपनी ने कहा “हम यूजर्स की सुरक्षा को सबसे ऊपर मानते हैं। हम जानते हैं कि भारत जैसे देश में जिम्मेदारी और भी बड़ी है, इसलिए हम हर दिन सीख रहे हैं, अपडेट कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।”
गूगल मैप्स ने हमारी ज़िंदगी को आसान बना दिया है—ये सच है। लेकिन हर तकनीक उतनी ही उपयोगी होती है, जितनी समझदारी से हम उसका इस्तेमाल करते हैं। गूगल खुद भी मानता है कि मैप को आंख मूंदकर फॉलो करना खतरनाक हो सकता है। इसलिए अगली बार जब आप अनजान रास्ते पर हों और गूगल मैप्स कहे कि "इस गली में मुड़िए", तो एक नज़र सामने देखना न भूलें। और जहां ज़रूरत हो, स्थानीय लोगों से पूछना आज भी सबसे सटीक नेविगेशन है।
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