THURSDAY 01 MAY 2025
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एयरटेल का नया कदम: 2अफ्रीका पर्ल्स केबल से बढ़ेगी भारत की इंटरनेट क्षमता

यह केबल भारत को मध्य पूर्व के जरिए अफ्रीका और यूरोप से जोड़ेगी। 2अफ्रीका पर्ल्स भारत में 100 टीबीपीएस (टेराबिट प्रति सेकंड) से अधिक की अंतरराष्ट्रीय क्षमता संपन्न है।

एयरटेल का नया कदम: 2अफ्रीका पर्ल्स केबल से बढ़ेगी भारत की इंटरनेट क्षमता

Airtel: भारत के डिजिटल क्षेत्र में आगे बढ़ने की आकांक्षा को जारी रखने के क्रम में भारती एयरटेल ने नया ऐलान किया। गुरुवार को जानकारी दी कि कंपनी ने देश में 2अफ्रीका केबल सफलतापूर्वक स्थापित कर लिया है। यह केबल भारत को मध्य पूर्व के जरिए अफ्रीका और यूरोप से जोड़ेगी। 2अफ्रीका पर्ल्स भारत में 100 टीबीपीएस (टेराबिट प्रति सेकंड) से अधिक की अंतरराष्ट्रीय क्षमता संपन्न है। इस निवेश के साथ ही एयरटेल ने वैश्विक नेटवर्क में विविधता के साथ ही भारत के डिजिटल क्षेत्र में आगे बढ़ने की आकांक्षा को सपोर्ट किया है।

भारत में 2अफ्रीका पर्ल्स केबल के लिए एयरटेल लैंडिंग पार्टनर है

एयरटेल बिजनेस के निदेशक और सीईओ शरत सिन्हा ने कहा, "हम 2अफ्रीका पर्ल्स केबल को भारत में लाकर रोमांचित हैं, जो नेटवर्क के प्रति हमारे समर्पण और विषम परिस्थितियों का सामना करने की दृढ़ता को दर्शाता है। हम अपने वैश्विक नेटवर्क में तेजी से विविधता ला रहे हैं और हाल ही में एसईए-डब्ल्यूई-एमई-6 केबल मुंबई और चेन्नई के नए लैंडिंग स्टेशनों पर उतारा है। " उन्होंने कहा, "हम अपने ग्राहकों को हाई-अपटाइम, विश्वसनीयता और बेहतर गुणवत्ता वाला नेटवर्क देने के उद्देश्य से ग्लोबल केबल सिस्टम और अपने फ्यूचर-प्रूफ नेटवर्क में निवेश करना जारी रखेंगे।" भारत में 2अफ्रीका पर्ल्स केबल के लिए एयरटेल लैंडिंग पार्टनर है। यह 2अफ्रीका पर्ल्स के निवेशकों - सेंटर3 और मेटा के साथ साझेदारी में है।

2अफ्रीका पर्ल्स, 2अफ्रीका केबल सिस्टम का एक हिस्सा है

2अफ्रीका पर्ल्स, 2अफ्रीका केबल सिस्टम का एक हिस्सा है। जब ये प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा तो दुनिया का सबसे लंबा सब-सी केबल सिस्टम होगा, जो मध्य पूर्व के माध्यम से एशिया को अफ्रीका और यूरोप से जोड़ेगा। इसका फैलाव 45,000 किलोमीटर से अधिक होगा। एयरटेल का ग्लोबल नेटवर्क 50 देशों और पांच महाद्वीपों में 400,000 आरकेएमएस (रूट किलोमीटर) तक फैला है। कंपनी ने वैश्विक स्तर पर 34 केबल में निवेश किया है, जिनमें 2अफ्रीका, साउथईस्ट एशिया-जापान केबल 2 (एसजेसी2) और इक्वियानो शामिल हैं।

भारत पहले से ही वैश्विक सब-सी केबल नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

भारत को एशिया-प्रशांत, यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका जैसे प्रमुख क्षेत्रों से जोड़ने वाली इन केबलों के अलावा, एयरटेल के ग्लोबल सब-सी नेटवर्क निवेशों में आई2आई केबल नेटवर्क, यूरोप इंडिया गेटवे (ईआईजी), आईएमईडब्ल्यूई, एसईए-एमई-डब्ल्यूई-4, एएजी, यूनिटी, ईएएसएसवाई, गल्फ ब्रिज इंटरनेशनल (जीबीआई) और मिडिल ईस्ट नॉर्थ अफ्रीका सबमरीन केबल ( एमईएनए केबल) जैसे बड़े केबल सिस्टम भी शामिल हैं। भारत पहले से ही वैश्विक सब-सी केबल नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें मुंबई, चेन्नई, कोचीन, तूतीकोरिन और त्रिवेंद्रम में 14 लैंडिंग स्टेशनों से जुड़ी लगभग 17 अंतर्राष्ट्रीय सब-सी केबल हैं। टाटा कम्युनिकेशंस, भारती एयरटेल, ग्लोबल क्लाउड एक्सचेंज और बीएसएनएल जैसी भारतीय दूरसंचार दिग्गज इन इंफ्रास्ट्रक्चर का संचालन करती हैं।

हाल ही में, भारती एयरटेल ने चेन्नई में एसईए-एमई-डब्ल्यूई सबमरीन केबल को स्थापित किया, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी मजबूत हुई। ग्लोबल टेक दिग्गज मेटा ने 'प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ' की भी घोषणा की है, जो 50,000 किलोमीटर लंबी अंडर-सी केबल पहल है जो भारत को अमेरिका, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से जोड़ेगी, जिससे ग्लोबल डिजिटल नेटवर्क में देश के बढ़ते महत्व को बल मिलेगा। 

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