बिहार में रेलवे का नया युग, पीएम मोदी देंगे तीन बड़ी सौगातें, वंदे भारत-नमो भारत-अमृत भारत का बनेगा संगम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार को रेलवे के क्षेत्र में बड़ी सौगात दी हैं। अब राज्य में आधुनिक ट्रेनों की नई शुरुआत होने जा रही है। जयनगर से पटना के बीच दौड़ेगी देश की दूसरी नमो भारत रैपिड रेल, जो तेज़, सुरक्षित और अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से लैस होगी।

बिहार, एक ऐसा प्रदेश जो ऐतिहासिक धरोहरों, सांस्कृतिक विविधताओं और ग्रामीण जीवन की सादगी से भरपूर है. अब उसी बिहार की तस्वीर बदलने जा रही है. नहीं, इस बार बात किसी पॉलिटिकल घोषणा की नहीं, बल्कि देश के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन में से एक की है. रेलवे, जो न सिर्फ लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाता है, बल्कि राज्यों के विकास की रफ्तार भी तय करता है अब उसी रेलवे के ज़रिए बिहार एक नया आयाम हासिल करने जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत रैपिड रेल को "आधुनिक भारत की रेल त्रिवेणी" कहा. और इस त्रिवेणी की दो महत्वपूर्ण धाराएँ अब बिहार से बहने जा रही हैं एक ओर अमृत भारत एक्सप्रेस, जो सहरसा को मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस से जोड़ेगी, और दूसरी ओर नमो भारत रैपिड रेल, जो जयनगर से पटना तक की दूरी को महज घंटों में समेट देगी.
एक नई सुबह जब ट्रेन नहीं, उम्मीद दौड़ी
बिहार के लोगों के लिए ट्रेन केवल यात्रा का माध्यम नहीं है, ये रोज़गार, रिश्ते, और भविष्य की डोर है. वर्षों से ट्रेनों की धीमी गति, भीड़भाड़, और सुविधाओं की कमी ने बिहारवासियों को थका डाला था. लेकिन अब जब "नमो भारत रैपिड रेल" और "अमृत भारत एक्सप्रेस" की घोषणा हुई, तो ये ट्रेनें नहीं, जैसे उम्मीदें दौड़ पड़ी हों. ये सिर्फ पटरी पर दौड़ती स्टील की मशीनें नहीं, बल्कि हर यात्री के सपनों की रफ्तार हैं. नमो भारत रैपिड रेल को अगर 'भारत का इंटरसिटी सपना' कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. वंदे भारत की सफलता के बाद इस रैपिड रेल को इंटरसिटी यात्रियों के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है. पहली बार इसे अहमदाबाद और भुज के बीच चलाया गया था, और अब ये बिहार में जयनगर और पटना के बीच धड़धड़ाती हुई दौड़ेगी.
इस रैपिड रेल में 16 आधुनिक कोच होंगे हर कोच में 120 से 130 यात्रियों की बैठने की सुविधा. कुल मिलाकर 2000 से अधिक लोग एक बार में यात्रा कर पाएंगे. सबसे ख़ास बात ये कि ट्रेन 'मेड इन इंडिया' अभियान के तहत पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनी है. इसमें 'कवच सुरक्षा प्रणाली', सीसीटीवी कैमरे, फायर डिटेक्शन सिस्टम, टॉकबैक इंटरकॉम और इंटरनेशनल लेवल की सीटें जैसी सुविधाएं यात्रियों को किसी हवाई जहाज का अहसास दिलाएंगी. और हां, इंजन रिवर्सल की झंझट अब खत्म! दोनों सिरों पर लोको पायलट कैब होने से ट्रेन बिना इंजन बदले उल्टी दिशा में भी चल सकती है.
सहरसा से मुंबई तक बिना समझौते की यात्रा
सहरसा से लोकमान्य तिलक टर्मिनस (मुंबई) तक चलने वाली अमृत भारत एक्सप्रेस बिहार के लिए न सिर्फ एक ट्रेन है, बल्कि एक उम्मीद है, एक सेतु है गाँव और महानगर के बीच. यह ट्रेन देश की तीसरी अमृत भारत एक्सप्रेस होगी. इससे पहले दरभंगा–आनंद विहार और मालदा–बेंगलुरु रूट पर यह ट्रेनें शुरू हो चुकी हैं.
इस नॉन-एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस में स्लीपर और अनरिजर्व्ड कोच होंगे. लेकिन सुविधा में कोई कटौती नहीं. पुश एंड पुल टेक्नोलॉजी, फोल्डेबल स्नैक्स टेबल, मोबाइल होल्डर, फ्लोर लाइट्स, और इलेक्ट्रो न्यूमैटिक फ्लश जैसी कई हाईटेक सुविधाएं इसे भीड़भाड़ वाली पारंपरिक ट्रेनों से अलग बनाती हैं.
सबसे खास बात
सबसे खास बात है कि यह ट्रेन भी 'मेड इन इंडिया' अभियान की देन है. इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री, चेन्नई में बनी इस ट्रेन ने दिखा दिया कि अब देश खुद के लिए सबसे बेहतर बना सकता है.
वैसे आपको बता दें कि केवल नई ट्रेनें ही नहीं, बिहार को तीन नई रेलवे लाइनों की सौगात भी मिलने जा रही है. सुपौल–पिपरा लाइन, खगड़िया–अलौली लाइन, हसनपुर–विथान लाइन. इन लाइनों पर दो पैसेंजर ट्रेनों का भी संचालन होगा, जिससे उत्तर बिहार और खासकर मिथिला क्षेत्र के लाखों लोगों को फायदा मिलेगा. ये क्षेत्र लंबे समय से रेलवे संपर्क की कमी से जूझ रहे थे, लेकिन अब उन्हें भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है.
बिहार की रफ्तार, भारत का विकास
प्रधानमंत्री मोदी ने सही कहा था, “बिना ट्रांसपोर्टेशन के ट्रांसफॉर्मेशन नहीं होता.” आज जब बिहार को इतनी आधुनिक रेल सुविधाएं मिल रही हैं, तो ये सिर्फ यात्रा की सुविधा नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में बड़ा कदम है. ये ट्रेनें उस नए भारत की पहचान हैं, जो न केवल तकनीकी रूप से सशक्त है, बल्कि आम आदमी के सपनों को भी महत्व देती है.
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