Congress 0 पर Out होकर भी खुश, इन सीटों पर खेल बिगाड़ कर AAP को दिए गहरे जख्म !
Delhi चुनाव के नतीजों से एक बात तो साफ हो गई कि AAP का खेल कांग्रेस ने ही खराब किया है. कई सीटों पर AAP के दिग्गज चुनाव हार गए. इन सीटों पर हार का अंतर कांग्रेस कैंडिडेट को मिले वोटों के अंतर से कम था.

दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का हाल उस स्टूडेंट जैसा है जो क्लास टेस्ट में जीरो पाकर भी बेहद खुश है. पर क्यों…? क्योंकि उसके दोस्त या कभी दोस्त रहे साथी स्टूडेंट का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा. जो दोस्त मेरिट लाता था. वो अब थर्ड डिविजन से पास हो रहा है, कांग्रेस की ये दोस्त है आम आदमी पार्टी है… जिसके साथ उसका रिश्ता दोस्ती से दुश्मनी में कब बदल गया पता ही नहीं चला. दिल्ली में आम आदमी के प्रदर्शन में कांग्रेस का असर साफ दिखा...
दिल्ली में AAP का टॉप ऑर्डर बिखर गया. दिग्गजों ने अपनी सीट गवां दी. इनमें दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, दुर्गैश पाठक, सोमनाथ भारती जैसे बड़े चेहरे शामिल हैं. यहां तक कि खुद AAP संयोजक और पूर्व CM अरविंद केजरीवाल भी हार गए. इन्हें हराने में सबसे बड़ी भूमिका कांग्रेस की मानी जा रही है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हार का अंतर बेहद कम है. उतना जितने वोट कांग्रेस को मिले.
अरविंद केजरीवाल को संदीप दीक्षित ने दिए घाव !
नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल का मुकाबला दो पूर्व CM के बेटों से था. पहले प्रवेश वर्मा जो पूर्व CM साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं. जबकि दूसरे संदीप दीक्षित 3 बार CM रहीं शीला दीक्षित के बेटे हैं. प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को हराकर 4089 वोट से हरा दिया. जबकि संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले. हार के इस अंतर से समझ सकते हैं कैसे कांग्रेस ने केजरीवाल को बड़ा झटका देते हुए गहरे जख्म दे दिए कि केजरीवाल अपनी ही सीट गवां बैठे.
सिसोदिया को कांग्रेस ने हराई जंगपुरा की जंग !
AAP के दिग्गज मनीष सिसोदिया तो BJP के तरविंदर सिंह मारवाह से महज 675 वोटों से हार गए. जबकि तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के फरहद सूरी को 7350 वोट मिले. यहां भी कांग्रेस ने AAP का खेल बिगाड़ दिया. मनीष सिसोदिया ने पहली बार जंगपुरा से चुनाव लड़ा था. इससे पहले वे पटपड़गंज से विधायक थे.
इसी तरह सौरभ भारद्वाज भी ग्रेटर कैलाश सीट से BJP की शिखा रॉय से 3188 के अंतर से हार गए. जबकि कांग्रेस के गर्वित सिंघवी को 6711 वोट मिले थे.
इनके अलावा तिमारपुर, बादली, नांगलोई जाट, मादीपुर, राजेंद्र नगर, कस्तूरबा नगर, मालवीय नगर, छतरपुर, संगम विहार और त्रिलोकपुरी ऐसी सीट हैं जहां AAP कैंडिडेट की हार का अंतर कांग्रेस को मिले वोटो से कम है.
गठबंधन में चुनाव का फायदा किसे मिलता ?
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और AAP ने साथ में चुनाव लड़ा था. लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए. नतीजा ये रहा कि विधानसभा में दोनों ने साथ आने से साफ इंकार कर दिया. कांग्रेस अपने बलबुते पर चुनाव में उतरी जो हासिल तो कुछ नहीं कर पाई लेकिन AAP का गेम जरूर बिगाड़ दिया. लेकिन कांग्रेस AAP के साथ आती तो परिणाम दोनों के लिए बेहतर हो सकते थे. क्योंकि दोनों पार्टियों का कोर वोटर एक ही है. ऐसे में इसका अंदाजा तो पहले से ही था कांग्रेस AAP के वोट काटने का काम करेगी. वहीं, AAP के साथ गठबंधन कांग्रेस के लिए भी कहीं ना कहीं फायदे का सौदा रहता. दिल्ली में जीरों की हैट्रिक लगाने वाली कांग्रेस कुछ सीटों अपने पाले में कर सकती थी. कांग्रेस के दिल्ली में एक बार खुदको वापस जिंदा करने का ये बड़ा मौका था.
इस मामले में कांग्रेस और AAP दोनों को ही INDIA गठबंधन के तहत बने यूपी मॉडल से सबक लेना चाहिए था. जब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने लोकसभा में एक होकर चुनाव लड़ा. और नतीजे उम्मीद के मुताबिक ही नहीं उम्मीद से कई ज्यादा अच्छे रहे. यूपी में सपा की सीटें बढ़ीं तो कांग्रेस को खोया हुआ वजूद वापस मिल गया. लेकिन दिल्ली तक आते आते INDIA गठबंधन धराशायी हो गए. अगर दिल्ली में कांग्रेस-AAP एक होती तो आज बात कुछ और होती…परिणाम शायद इतने खराब नहीं होते.