THURSDAY 01 MAY 2025
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देश में लगातार क्यों बढ़ रहे हैं सुसाइड के आंकड़े? युवाओं के लिए क्यों है खतरे की घंटी?

2022 में भारत में आत्महत्या के मामलों ने इतिहास का सबसे बड़ा आंकड़ा छू लिया। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 1.71 लाख लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें दिल्ली, चेन्नई, और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों ने शीर्ष स्थान हासिल किया। दिल्ली में 2760 मामले, चेन्नई में 2699 मामले, और बेंगलुरु में 2292 मामले दर्ज किए गए।

देश में लगातार क्यों बढ़ रहे हैं सुसाइड के आंकड़े? युवाओं के लिए क्यों है खतरे की घंटी?
भारत में हर साल आत्महत्या के बढ़ते आंकड़े समाज और सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं। हाल ही में इंस्टाग्राम इंफ्लुएंसर और पूर्व रेडियो जॉकी सिमरन की आत्महत्या की खबर ने सभी को चौंका दिया। गुरुग्राम में अपने फ्लैट में सिमरन का शव पाया गया। इस घटना ने न केवल उनके फॉलोअर्स को गहरे सदमे में डाल दिया बल्कि युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य की बिगड़ती स्थिति पर एक बार फिर बहस छेड़ दी।
आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ
भारत में आत्महत्या के आंकड़े दिन-प्रतिदिन चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 1,71,000 लोगों ने आत्महत्या की। यह आंकड़ा 2021 की तुलना में 4.2% ज्यादा और 2018 की तुलना में 27% अधिक है। 1967 के बाद से यह आत्महत्याओं का सबसे बड़ा आंकड़ा है। प्रति लाख व्यक्तियों पर आत्महत्या की दर 12.4 रही, जो देश के इतिहास में अब तक की सबसे ऊंची है। ये आंकड़े केवल संख्या नहीं, बल्कि एक समाजिक संकट की तस्वीर हैं, जो देश के युवाओं और अन्य वर्गों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर सवाल उठाते हैं।
सुसाइड के बढ़ते मामलों का कारण क्या है?
सुसाइड के बढ़ते आंकड़ों का एक बड़ा कारण आज की तनावपूर्ण जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की अनदेखी और सहायता प्रणाली की कमी है।
पारिवारिक समस्याएं और व्यक्तिगत तनाव: NCRB के अनुसार, 32.4% आत्महत्याएं पारिवारिक तनाव के कारण होती हैं। पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी और रिश्तों में खटास युवाओं को सबसे अधिक प्रभावित करती है।
शैक्षिक और करियर प्रेशर: युवाओं में शैक्षिक दबाव और नौकरी की अस्थिरता आत्महत्या के बड़े कारण बन रहे हैं। JEE, NEET जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के तनाव से छात्र मानसिक रूप से टूट जाते हैं। हाल ही में कोटा, राजस्थान जैसे शिक्षा केंद्रों से कई आत्महत्या की खबरें आईं।
लाइलाज बीमारियां और स्वास्थ्य समस्याएं: लंबी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है। 17.1% मामलों में इसका कारण स्वास्थ्य समस्याएं थीं।
डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी: मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता की कमी है। लोग इसे अभी भी गंभीरता से नहीं लेते और न ही सही समय पर विशेषज्ञों से मदद लेते हैं।
आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले कहां?
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली आत्महत्याओं के मामले में सबसे ऊपर है। दिल्ली में साल 2022 में 2760 आत्महत्या के मामले सामने आए थे, जिसके बाद चेन्नई में 2699 मामले, जबकि बेंगलुरु से 2292 मामले सामने आए। इस बीच दिल्ली की स्थिति चिंताजनक है क्योंकि यह देश की राजधानी होने के साथ-साथ बड़े पैमाने पर युवा आबादी का केंद्र है। आत्महत्या के मामलों पर विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक और सामाजिक दबाव भी इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। युवा वर्ग, खासकर छात्र और पेशेवर, तनाव के कारण मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि सर्दियों में आत्महत्या के मामले ज्यादा बढ़ते हैं। कम धूप और ठंड के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD) कहा जाता है।
इसके अलावा युवाओं में आत्महत्या के बढ़ते मामले एक गंभीर सामाजिक समस्या बन गए हैं। डिजिटल युग में सोशल मीडिया का दबाव, उच्च शिक्षा और करियर की चुनौतियां, और पारिवारिक तनाव उन्हें आत्मघाती कदम उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
कैसे रुक सकता है यह संकट?
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाना और अधिक काउंसलिंग सेंटर खोलना जरूरी है। स्कूलों और कॉलेजों में नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
पारिवारिक संवाद को प्रोत्साहित करना: परिवारों को अपने बच्चों के साथ संवाद को बेहतर बनाने और उन्हें सपोर्ट देने की जरूरत है।
सरकार और NGO का सहयोग: सरकारी योजनाओं और गैर-सरकारी संगठनों को आत्महत्या रोकथाम पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग: युवाओं को सोशल मीडिया का सकारात्मक तरीके से उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
आत्महत्या का बढ़ता ग्राफ समाज के लिए चेतावनी है। यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि हर आंकड़ा एक परिवार की बर्बादी और समाज की असफलता को दर्शाता है। हमें मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे, जिससे युवाओं को मानसिक तनाव से बचाया जा सके और उन्हें सही दिशा दिखाई जा सके।
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