भीड़ में हुई मौत पर किसकी होगी जिम्मेदारी? क्या कहता है भारतीय कानून?
बीते शनिवार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 15 लोगों की मौत हो गई, जिससे कानून से जुड़ा एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया—अगर भीड़ में किसी की हत्या हो जाए तो दोषी कौन होगा? भारतीय कानून के अनुसार, अगर कोई भीड़ में शामिल होकर हिंसा करता है तो वह दोषी माना जाता है, भले ही उसने खुद हमला न किया हो। IPC की धारा 147 और 148 के तहत 2 से 3 साल की सजा का प्रावधान है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है और 10 से अधिक घायल हैं। हादसा तब हुआ जब प्रयागराज महाकुंभ जाने वाली ट्रेन के आने की सूचना मिली और यात्री एक साथ प्लेटफॉर्म की ओर दौड़ पड़े। अचानक मची अफरातफरी में कई लोग दब गए और कुछ की जान चली गई। इस दर्दनाक घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनमें सबसे अहम यह है कि अगर भीड़ में किसी की हत्या हो जाए, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? कानून इस मामले में क्या कहता है?
क्या कहता है भारतीय कानून?
कानूनी दृष्टि से देखें तो किसी भी स्थिति में किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। अगर कोई भीड़ का हिस्सा बनकर हिंसा करता है, तो वह अपराधी माना जाता है और उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
आईपीसी की धारा 147 और 148 - अगर कोई व्यक्ति भीड़ में शामिल होकर हिंसा करता है, तो उसे 2 से 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
आईपीसी की धारा 436 - अगर कोई भीड़ किसी इमारत या संपत्ति को आग के हवाले करती है, तो दोषी को 10 साल की सजा या आजीवन कारावास तक हो सकता है।
आईपीसी की धारा 34 और 149 - अगर आप हिंसक भीड़ में केवल मौजूद भी हैं, तो आपको समान रूप से दोषी माना जाएगा। इस धारा के तहत हिंसा के लिए भीड़ का हर व्यक्ति बराबर का जिम्मेदार होता है।
आईपीसी की धारा 307 - यदि भीड़ के किसी सदस्य द्वारा किया गया हमला जानलेवा साबित होता है, तो आरोपी को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
भगदड़ में जिम्मेदारी किसकी?
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, भगदड़ के दौरान हुई मौतों के लिए वे अधिकारी और संस्थाएं जिम्मेदार मानी जाएंगी, जो मौके पर सुरक्षा के लिए तैनात थे। अगर कोई आयोजनकर्ता किसी कार्यक्रम में सुरक्षा के उचित इंतजाम नहीं करता और वहां भगदड़ मच जाती है, तो वह भी दोषी माना जाएगा। अगर भीड़ में किसी व्यक्ति की हत्या होती है, तो यह साबित करना होगा कि हत्या जानबूझकर की गई या यह सिर्फ भगदड़ का नतीजा थी। अगर कोई भीड़ जानबूझकर किसी को मारने के इरादे से हमला करती है, तो इसके लिए हत्या की धाराएं भी लग सकती हैं, जिसमें आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक का प्रावधान है।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद राजनीतिक दल भी इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। जहां सरकारी अधिकारी इसे भीड़ का प्रकोप बता रहे हैं, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस बहस में उलझे हैं कि ऐसी घटनाओं के लिए प्रशासन जिम्मेदार है या फिर भीड़ खुद?
किसी भी लोकतांत्रिक समाज में कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी होती है, लेकिन आम नागरिकों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे किसी भी परिस्थिति में कानून अपने हाथ में न लें। भीड़ के उग्र होने पर किसी की जान चली जाए, तो यह एक गंभीर अपराध है और कानून इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करता है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ से एक बार फिर यह सबक मिला है कि भीड़ का उन्माद कितना खतरनाक हो सकता है और ऐसे हालात से बचने के लिए प्रशासन और आम जनता दोनों को सतर्क रहना चाहिए।
Advertisement