मोदी राज में GDP का हाल, 2014 से 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था का पूरा विश्लेषण
2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत की GDP में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे गए। शुरुआत में मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों से अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली। लेकिन 2016 में नोटबंदी और 2017 में GST लागू होने से अर्थव्यवस्था को कुछ झटके लगे।

2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता संभाली, तो देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने की उम्मीद जगी। "सबका साथ, सबका विकास" के नारे के साथ मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया। इस दौरान कई बड़े फैसले लिए गए, जिनमें मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, विमुद्रीकरण (नोटबंदी), जीएसटी (GST) लागू करना, आत्मनिर्भर भारत अभियान और रिफॉर्म्स इन बैंकिंग सेक्टर जैसी प्रमुख नीतियां शामिल रहीं।
हालांकि, 2020 में COVID-19 महामारी के कारण भारत सहित पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई। इसके बावजूद, सरकार ने राहत पैकेज और सुधारों के माध्यम से GDP को पुनर्जीवित करने की कोशिश की। 2024 और 2025 में, भारत की अर्थव्यवस्था नई संभावनाओं की ओर बढ़ रही है। इस ब्लॉग में हम 2014 से 2025 तक भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के उतार-चढ़ाव और सरकारी नीतियों के प्रभाव को समझने की कोशिश करेंगे।
2014-2015: नई सरकार, नई उम्मीदें
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद, आर्थिक सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। निवेश बढ़ाने और उद्योगों को मजबूत करने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए। इस समय GDP 7.4% की दर से बढ़ी, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले एक बेहतर संकेत था। भारतीय बाजार में विदेशी निवेश बढ़ा और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को गति मिली।
2016-2017: विमुद्रीकरण और GST का प्रभाव
8 नवंबर 2016 को सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने (नोटबंदी) का ऐलान किया। इस निर्णय का उद्देश्य काले धन पर रोक लगाना और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना था। हालांकि, अल्पकालिक रूप में इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला, क्योंकि नकदी की कमी से बाजार में मंदी छा गई और कई छोटे व्यवसाय प्रभावित हुए।
2017 में GST (वस्तु एवं सेवा कर) लागू हुआ, जिसे भारत के सबसे बड़े कर सुधारों में से एक माना जाता है। यह कर व्यवस्था जटिल टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए लाई गई थी। प्रारंभिक समस्याओं के बाद, GST ने व्यापार को आसान बनाया और अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने में मदद की। GDP ग्रोथ 2016-17 में 8.2% थी, लेकिन विमुद्रीकरण और GST के कारण 2017-18 में यह घटकर 6.7% हो गई।
2018-2019: स्थिरता और सुधार की ओर कदम
इस अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था GST और नोटबंदी के प्रभाव से उबरने लगी। सरकार ने बैंकिंग सिस्टम में सुधार, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निवेश, किसानों के लिए योजनाएं और नई उद्यमिता योजनाएं लागू कीं। हालांकि, वैश्विक मंदी और वित्तीय संकट की वजह से भारत की GDP ग्रोथ 2018-19 में घटकर 6.1% रह गई।
2020-2021: कोविड-19 महामारी और ऐतिहासिक गिरावट
मार्च 2020 में भारत में COVID-19 महामारी फैलने के बाद, सरकार को लॉकडाउन लागू करना पड़ा। इससे व्यापार, पर्यटन, उद्योग और सेवा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए। 2020-21 में GDP में रिकॉर्ड 7.3% की गिरावट दर्ज की गई, जो इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट थी। इसके बाद सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया, जिससे धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित होने लगी।
2022-2023: अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार
महामारी के बाद, भारत की GDP ने तेज रिकवरी दिखाई। कृषि, टेक्नोलॉजी, विनिर्माण और स्टार्टअप सेक्टर में तेजी आई। सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, स्वास्थ्य सुविधाओं और डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दिया। 2022-23 में GDP ग्रोथ दर 7.2% रही, जिससे यह संकेत मिला कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से मजबूती की ओर बढ़ रही है।
2024-2025: भविष्य की ओर दृष्टि
2024 और 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ने की ओर अग्रसर है। भारत सरकार मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट पर जोर दे रही है। सस्ते लोन, नई टेक्नोलॉजी, डिजिटल भुगतान और स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जा रहा है। वैश्विक मंदी के बावजूद, भारत की GDP 2024-25 में 6.4% तक रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026 के लिए अनुमानित वृद्धि 6.3% से 6.8% के बीच हो सकती है।
2014 से 2025 तक, मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत की GDP कई उतार-चढ़ाव से गुजरी। सरकार ने कई साहसिक निर्णय लिए, जैसे नोटबंदी, GST, आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया, जिनका प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिलेगा। हालांकि, COVID-19 महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा, लेकिन सरकार की रणनीतियों और सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद की। 2025 तक, भारत दुनिया की 3 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है। यह सफर चुनौतियों और अवसरों से भरा रहा, लेकिन भारत की विकास यात्रा लगातार आगे बढ़ रही है।
मोदी सरकार का लक्ष्य 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना था, लेकिन महामारी और वैश्विक संकट के कारण यह लक्ष्य थोड़ा आगे बढ़ सकता है।
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