खतरे में यूरोप के 51 देश ! ‘जिहादियों’ ने कर लिया क़ब्ज़ा !
एक वक़्त ऐसा था जब यूरोप के देश दरियादिली दिखाकर शरणार्थियों को अपने देश में ना सिर्फ़ शरण देते थे बल्कि नौकरी और घर देने का वादा भी करते थे, लेकिन इनमें से कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों की सोच ऐसी थी कि जिस थाली में खाएँगे उसमें छेद ही नहीं करेंगे बल्कि उसे खोखला कर देंगे, इसीलिए अब यूरोपीय देश अपने दरवाज़े ऐसे शरणार्थियों के लिए बंद कर रहे हैं।

हमारे देश में कुछ लोग गला फाड़ फाड़कर चिल्लाते हैं कि हम कागज नहीं दिखायेंगे, काग़ज़ नहीं दिखायेंगे।दरअसल काग़ज़ दिखाने का डर इसलिए हैं कि कहीं असली पहचान ना सामने आ जाये। भारत में इस वक़्त करोड़ों कि संख्या में घुसपैठिये मौजूद हैं। देश के कोने कोने में इन्होंने अपने आपको बसा लिया है। रही कसर हमारे नेता पूरी कर देते हैं इनके वोटर आईडी कार्ड बनवाकर। अवैध तरीक़े से भारत में घुसे घुसपैठिये हों या फिर सरकार की दया पर आकर रह रहे शरणार्थी। इसमें कोई दो राय नहीं कि इन्हें हमेशा ही शक की निगाहों से देखा जाता रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारी आंखों के सामने यूरोपियन देशों में जो कुछ भी हो रहा है वो किसी से छिपा नहीं है। यूरोपियन देशों ने भी दया करके इन इस्लामिक कट्टरपंथियों को अपने यहां पनाह दी थी, हालात ऐसे हैं कि आये दिन ये जिहादी मानसिकता वाले उत्पात मचाते रहते हैं। थक हार कर अब जर्मनी जैसे देशों ने बाहरी शरणार्थियों पर रोक लगाने का फैसला किया है और कह दिया है भाई साहब यहां मत आइये हाथ जोड़कर निवेदन है।
लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। लेकिन हां। इस कहावत को मद्देनज़र रखकर अगर दूसरा किसान अपने खेत को बचा ले तो क्या बुराई है। तो बस भारत को अब इन Radical सोच वाले लोगों से खुद को बचाना है। आज इस रिपोर्ट में हम यूरोप की बात करेंगे और आप समझियेगा कि भारत को भी इससे कैसे सीखना है। तो भई सबसे पहले तो इस ख़बर की हेडलाइन पर नज़र डालिये। इसमें लिखा है कि यूरोप कैसे धीरे धीरे शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे बंद कर रहा है ? एक वक़्त ऐसा था जब यूरोप के देश दरियादिली दिखाकर शरणार्थियों को अपने देश में ना सिर्फ़ शरण देते थे बल्कि नौकरी और घर देने का वादा भी करते थे, लेकिन इनमें से कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों की सोच ऐसी थी कि जिस थाली में खाएँगे उसमें छेद ही नहीं करेंगे बल्कि उसे खोखला कर देंगे, इसीलिए अब यूरोपीय देश अपने दरवाज़े ऐसे शरणार्थियों के लिए बंद कर रहे हैं।
इसे और विस्तार से समझने के लिए पहले ये तस्वीर देखिये। इस आदमी का नाम है तालिब अल अब्दुल मोहसिन। सऊदी अरब से भागा ये 50 साल का मुस्लिम आदमी सीधा पहुंचा जर्मनी। वहां जाकर इसने रोना गाना करना शुरू कर दिया कि जी मैं तो इस्लामिक कट्टरपंथ के ख़िलाफ़ हूँ मैं तो बहुत लिबरल हूं। जर्मनी ने बड़ा दिल दिखाते हुए अब्दुल मोहसिन को अपने देश में शरण दे दी, साइकैट्रिस्ट की तरह काम कर रहे अब्दुल को जर्मनी की सरकार ने शरणार्थी का दर्जा भी दे दिया था, लेकिन अब्दुल तो पक्का जिहादी था, कब तक अपनी इस सोच को छिपा कर रखता ?
एक दिन किराये पर BMW गाड़ी ली और जर्मनी के क्रिसमस मार्केट में चला गया। धीरे धीरे अपनी गाड़ी को उसने Emergency Lane में घुसाया और फिर स्पीड हाई करके एक के बाद एक सैकड़ों लोगों को रौंद दिया। ये घटना आपको मैं बहुत साल पुरानी नहीं बता रही हूं, इसी 20 दिसंबर को इस घटनाक्रम को अब्दुल ने अंजाम दिया। अब्दुल ने अपनी गाड़ी से 200 से ज्यादा लोगों को गंभीर रूप से घायल किया जबकि 5 लोगों की ऑन द स्पॉट मौत हो गई।
हैरानी की बात तो ये है कि अब्दुल इस तरह का जघन्य अपराध करने वाला पहला शरणार्थी नहीं था इससे पहले यूरोप में कई बार इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। शायद इसीलिए पहली बार यूरोप के देशों से एक स्वर में ये आवाज़ उठी है कि सारे शरणार्थियों को धक्के देकर बाहर निकाला जाये और देश को साफ़ किया जाए। मतलब सोचिये क्या ये किसी फ़िल्मी कहानी की तरह नहीं लग रहा है कि पहले कोई दूसरे देश में आये फिर उनके विचारों में घुल मिल जाये अपने आपको कट्टरपंथ के ख़िलाफ़ बताये और फिर उसी विचारधारा के तहत 200 मासूमों पर गाड़ी चढ़ा दे ?
जर्मनी की बात हो रही है तो साल 2015 का वो दौर भी याद कीजिये जब सीरीया पर ISIS बहुत ज़ुल्म कर रहा था और लोग अपनी जान बचा बचाकर भाग रहे थे, उस वक़्त जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्कल ने इन्हें अपने यहां शरण दी थी। एंजेला ने बकायदा ऐलान किया था कि हमारे दरवाजे आपके लिए खुले हैं, आपको नौकरी और घर तक देने की कोशिश की जाएगी। 3 लाख शरणार्थियों को जर्मनी में लाई एंजेला को बहुत बार समझाया गया कि वो देश को ख़तरे में डाल रही हैं लेकिन उनके नर्म दिल के आगे किसी की एक नहीं चली…लेकिन देखते ही देखते इन शरणार्थियों की संख्या 10 लाख से भी ज़्यादा हो गई।
इराक़, सीरिया समेत अफ़ग़ानिस्तान से भी भारी तादाद में शरणार्थियों को जर्मनी ने शरण दे दी और आख़िरकार फिर वही हुआ जिसका डर जताया जा रहा था। साल 2016 में एक ऐसे ही शरणार्थी ने ट्रेन पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। इस हमने में उसने सैकड़ों लोगों को ज़ख़्मी कर दिया था। साल 2016 में ही बर्लिन में एक शरणार्थी ने ट्रक से हमला कर दिया। वो कई लोगों के ऊपर ट्रक लेकर चढ़ गया, इस हादसे में 12 लोग मारे गये और 26 लोग घायल हो गये।
अभी इसी साल अगस्त के महीने में एक 26 साल के लड़के चाकुओं से हमला कर 3 लोगों को मार दिया था। अच्छा ये सब सिर्फ़ जर्मनी में नहीं हुआ आप आंकड़ा उठाकर देखिये जहां जहां ये इस्लामिक कट्टरपंथी गये वहाँ वहाँ इसी तरह के हमले हुए। साल 2015 में पेरिस में सीरियल ब्लास्ट हुआ 130 लोग मारे गये। जाँच में पता चला कि जन लोगों ने ये हमला कि उनमें से ज़्यादातर शरणार्थी थे। मार्च 2016 में ब्रसल्स से बड़ी चौंकाने वाली ख़बर सामने आई। साल 2016 में फ़्रांस के नीस शहर में भी एक ट्रक डाइवर ने कई लोगों पर ट्रक चढ़ा दिया। इस घटनाक्रम में 86 लोग घायल हुए जबकि 400 से ज़्यादा ज़ख़्मी हो गये।
आप सोचिये 2013 तक इन देशों में इक्का दुक्का हमले हुआ करते थे वही 2015 के बाद से ही सैकड़ों हमले हो चुके है यूरोपियन देशों में और ज़्यादातर हमलों को अंजाम दिया जा चुका है। इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी ने तो प्रवासियों की संख्या को कम करने के लिए कई पहल की हैं। इटली ने तो एक क़ानून भी पारित कर दिया है जिसमें कहा है कि शरण चाहने वालों को तब तक हिरासत में रखा जाएगा जब तक की उनके शरण दावों पर कार्रवाई ना हो जाये। इस प्रक्रिया में दो साल तक का वक़्त लग सकता है।
लगातार बढ़ते ऐसे मामलों को लेकर कई इस्लामिक देश भी किसी मुस्लिम शरणार्थी को अपने यहां जगह देने से बच रहे हैं। इसके पीछे का कारण क्या है ये जानने के लिए जब हमने Goole किया तो Quoar पर जो जवाब आया वो आपको देखना चाहिएँ। उसमें लिखा था- क्योंकि इस्लामिक देश भी जानते हैं कि एक मुसलमान का क्या स्वभाव, क्या प्रकृति होती है, मार-काट और जेहाद की भावना कूट कूट कर भरी होती है जो किसी भी समाज और देश के लिए घातक है, आज यूरोप की जो स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं जहां मुसलिम शरणार्थी किस तरह उत्पात मचाते रहते हैं मुसलमान, मुस्लिम देश में भी शांति से नहीं रह सकता, सीरिया, इराक और अब अफ़ग़ानिस्तान इसका ताज़ा उदहारण है. खैर, Europe से भी अगर नहीं सीखा तो फिर इससे ज्यादा बेवकूफी की बात क्या हो सकती है ?
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