महाकुंभ भगदड़ में लोग मरे नहीं, बल्कि उन्हे मोक्ष मिला है, बागेश्वर बाबा के बयान से गर्माई राजनीति !
महाकुंभ में जो घटना 29 जनवरी की रात घटी, उसकी भरपाई किसी भी किमत पर नहीं की जा सकती, और ना ही उस घटना को पिछली घटनाओं से तुलना की जा सकती है…लोगों के साथ साथ संत समाज भी बंटा हुआ नजर आ रहा है…शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरांनद जहां मोदी-शाह और योगी का इस्तीफा मांग रहे है, वहीं बागेश्वर धाम वाले बाबा सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे है

बागेश्वर बाबा ने बयान से हलचल
तो एक तरफ तो बाबा बागेश्वर हैं जिनहे लगता है मरने वाले लोगों को मोक्ष मिला है, लेकिन शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को लगता है कि यह सब मोदी-शाह और योगी की वजह से हुआ। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इन घटनाओं पर कहा कि -
प्रयागराज में परम धर्म संसद में यह प्रस्ताव पास किया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तत्काल इस्तीफा दे दें। यह लोग काबिल नहीं हैं। जनता से इन्होंने जानकारी को छुपाया है। संत समाज के साथ बड़ा धोखा किया है, क्योंकि हम जब इतनी बड़ी भगदड़ की सूचना मिलने के बाद स्नान नहीं करने जा रहे थे, तो इन्होंने अफवाह की बात कर हमें गलत जानकारी दी और हम सभी ने मृत आत्माओं की शांति के लिए बिना मौन रखे या बिना उन्हें श्रद्धांजलि दिए शाही स्नान भी कर लिया। यह बहुत दुखद है कि हमसे जानकारी को छुपाया गया। बिना जानकारी सही तरीके से हम तक पहुंचाई गई, मृतकों और घायलों के आंकड़े को भी बाद में बताया गया। पूरे दुनिया में घायलों के आंकड़े चल रहे थे, लेकिन प्रशासन और सीएम ने शाम को जारी किया। हमें मृतक आत्माओं की शांति के लिए उपवास या मौन रखने का मौका भी नहीं मिला। इसलिए प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा को चाहिए कि तत्काल योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाए। अभी भी यहां करोड़ों लोग आने वाले हैं, वह भीड़ नहीं संभाल पा रहे हैं। सिर्फ लीपापोती कर रहे हैं।
तो संत समाज इस घटना पर दो धड़ों में बंट गया है, बागेश्वर बाबा का बयान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयान के बाद आया है तो लोग इसे शंकराचार्य को जवाब के तौर पर भी देख रहे हैं, लेकिन जो भी है, दोनों धड़ों के बयान आपको दिखाए हैं, फैसला आपका है कौन सही कौन गलत, लेकिन प्रशासन की गलती है, मानते हैं, व्यवस्था की गलती हो सकती है, लेकिन इतना बड़ा आयोजन था, कुंभ में आए लोग आस्था के साथ आए थे, उन पर पुलिस लाठीचार्ज नहीं कर सकती थी, समझाने का काम कर सकती थी, वह किया जा रहा था, लेकिन आस्था से भरे इस देश में आस्था से भरे श्रद्धालुओं को भी सोचना होगा कि इतने बड़े आयोजन को साठ हजार पुलिसकर्मी नहीं संभाल सकते। आने वाले वक्त में पिछली घटना से सीख लेते हुए लोगों को भी इस आयोजन को अपना आयोजन समझ कर व्यवस्था को सुनिश्चित करना होगा। क्योंकि लोगों को समझाते हुए पुलिसकर्मियों की तस्वीरें भी हमने देखी हैं। तो इस हृदय विदारक घटना पर सबका अपना-अपना नजरिया हो सकता है, लेकिन अब भी अगर श्रद्धालु इस घटना से सबक लेकर आगे ऐसी किसी घटना का न होना सुनिश्चित करें तो भी अच्छा है।