40 साल बाद थमी जंग की पूरी कहानी, कुर्दिस्तान को लेकर क्या क्या हुआ !
तुर्किये में कुर्दों के अलगाववादी आतंकी संगठन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) ने 40 साल बाद अपने हथियार डाल दिए हैं…जेल में बंद पार्टी नेता अब्दुल्लाह ओकलान ने संगठन के सदस्यों से कहा है कि वे तुर्किये के खिलाफ अपनी जंग को खत्म कर दें और संगठन को भंग कर दें

27 नवंबर 1978 को तुर्की से अलग कुर्दिस्तान बनाने की मांग से बनी कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी ने 1984 से ही कुर्दों के लिए तुर्किये सरकार के खिलाफ एक मातृभूमि बनाने के मकसद से सशस्त्र विद्रोह छेड़ रखा है, जो तुर्किये की 8.5 करोड़ आबादी का 1.5 करोड़ यानी 20% है। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी कुर्द अलगाववादी समूह है। इसका मक़सद ईरान, इराक, सीरिया और तुर्की के कुर्द बहुल क्षेत्रों पर कब्जा कर कुर्द अधिकारों को आगे बढ़ाना है। PKK जिसे तुर्किये, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है, इसका हेडक्वार्टर लंबे समय से इराक में है। कुर्द समुदाय के लोग तुर्किये के पहाड़ी इलाकों और सीमाई क्षेत्रों के साथ इराक, सीरिया, ईरान और आर्मेनिया में रहते हैं। तुर्किये में इनकी आबादी 1.5 करोड़ के आसपास है।
अब इतने सालों से चली आ रही इस जंग में पहले भी शांति की बात कई बार हो चुकी है, लेकिन ये नाकामयाब रही। इसके बाद इस ग्रुप ने तुर्किये में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है। 2013 से 2015 तक PKK और तुर्किये सरकार के बीच युद्धविराम बना रहा, लेकिन इसके बाद हमले और ज़्यादा बढ़ गए। इधर तुर्किये की सेना ने देश के दक्षिणपूर्वी इलाके और सीरिया और इराक के बॉर्डर के पास सैन्य ऑपरेशन किए। फिलहाल अब यह संघर्ष ख़त्म हो चुका है। हजारों लोगों की जान लेने के बाद इस जंग को रोकते हुए संगठन के नेता अब्दुल्लाह ओकलान ने जेल से एक लेटर भेजा और कहा:
"तुर्किये सरकार की तरफ से कुर्दों के अधिकारों पर रोक लगाई जा रही थी, इसके जवाब में PKK का गठन किया गया था। लेकिन तब से अब तक कुर्दों के अधिकारों में इजाफा हुआ है। साथ ही यह संगठन अपनी उम्र पूरी कर चुका है। अब इसे खत्म कर दिया जाना जरूरी है।"
बता दें कि संगठन के नेता अब्दुल्लाह ओकलान को 1999 में तुर्की की स्पेशल फोर्स ने केन्या में पकड़ा था और तब से ही उसे इस्तांबुल की एक जेल में कैद रखा गया है, जहां वह उम्रकैद की सजा काट रहा है और यहीं से उसने इस जंग को रोकने के लिए ये पत्र लिखा। अब इतनी लंबी लड़ाई के बाद भी कुर्दिस्तान नहीं बन पाया। ये बनाने क्यों चाहते थे, ये जानना ज़रूरी है।