THURSDAY 01 MAY 2025
Advertisement

Parvesh Sahib Singh Verma biography। राजनीति में बड़े बड़े धुरंधरों के छुड़ाए पसीने!

Parvesh Sahib Singh Verma biography। प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से अरविंद केजरीवाल को मात देकर चुनाव जीता। लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए. प्रवेश वर्मा को दिल्ली का डिप्टी सीएम बनाया गया। लेकिन अपने चुनावी सफ़र में एक बार फिर चुनाव ना हारने का रिकॉर्ड प्रवेश वर्मा ने बनाया। बड़े बड़े धुरंधर नेताओं के पसीने छुड़ाए। इस वीडियो में जानिए प्रवेश वर्मा से जुड़ी ख़ास बातें.. उनका राजनीतिक सफ़र

Parvesh Sahib Singh Verma biography। राजनीति में बड़े बड़े धुरंधरों के छुड़ाए पसीने!
27 साल का लंबा वनवास खत्म करने के बाद बीजेपी दिल्ली की सत्ता में वापस लौट पाई और ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे की प्रवेश वर्मा को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा लेकिन आखिरी वक्त पर पासा पलटा और रेखा गुप्ता के हाथ में दिल्ली की कमान आ गई और प्रवेश वर्मा को मंत्री पद दिया गया। प्रवेश वर्मा का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा क्योंकि उन्होंने जैसे ही राजनीति में कदम रखा अपने पहले चुनाव से अब तक के चुनाव में बड़े-बड़े धुरंधरों को मात दी। नई दिल्ली जहां सबसे ज्यादा टफ मुकाबला था वहां से प्रवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को चुनाव हार दिया।प्रवेश वर्मा के बचपन से लेकर राजनीतिक सफर के दिलचस्प किस्से बताते है।

शांत चेहरा। आंखों में तेज। दक्ष रणनीतिकार। हिंदुत्व की आवाज। और मन में जो ठान लिया वो कर गुजरने की ज़िद। ये है नई दिल्ली विधानसभा सीट पर 27 साल बाद भगवा लहराने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ।जो अब दिल्ली की नई नवेली बीजेपी सरकार में मंत्री पद संभालकर। कभी ना चुनाव हारने का ताज अपने सिर सज़ा कर चुके हैं।

प्रवेश साहिब सिंह वर्मा का जन्म 7 नवंबर 1977 को दिल्ली में हुआ। बड़े राजनीतिक जाट परिवार में जन्म लेने वाले प्रवेश वर्मा के परिवार में उनके अलावा एक भाई और तीन बहने भी हैं ।प्रवेश वर्मा की शुरुआती स्कूली पढ़ाई दिल्ली के आर के पुरम में पब्लिक स्कूल से हुई। जिसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज से बैचलर डिग्री हासिल की। हायर एजुकेशन के लिए उन्होंने स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से मास्टर्स की डिग्री ली। बस यही से प्रवेश वर्मा का राजनीतिक सफ़र शुरू होने का रास्ता भी खुल गया।

राजनीति सफ़र की शुरुआत


प्रवेश वर्मा को सियासी दांव पेंच खेलने के लिए उतनी मशक़्क़त नहीं करनी पड़ी। क्योंकि अपने शुरुआती दौर से ही वो सियासत का अनुभव और पाठ अपने घर से ही सीख चुके थे। प्रवेश वर्मा ने बचपन से ही सत्ता और सरकार को काफी करीब से देखा। क्योंकि पिता साहिब सिंह वर्मा बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी थे और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी रहे।

प्रवेश वर्मा के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2013 से हुई। ये वो दौर था जब दिल्ली में कांग्रेस ही सरकार थी। और आम आदमी पार्टी भी दम भर रही थी। ऐसे में बीजेपी के लिए मुक़ाबला काफ़ी टफ था। लेकिन बीजेपी ने राजनीति में नए नए प्रवेश करने वाले युवा नेता  प्रवेश वर्मा पर ही दांव खेल दिया। और महरौली विधानसभा सीट से चुनावी दंगल में उतार दिया। महरौली सीट ऐसी सीट थी जहां से दो बार से कांग्रेस जीतती आ रही थी और योगानंद शास्त्री मौजूदा विधायक भी थे। लेकिन जब युवा चेहरे प्रवेश वर्मा ने बीजेपी के टिकट पर दहाड़ लगाई दम दिखाया। तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता योगानंद शास्त्री अपनी सीट ही बचा नहीं पाए। और तो और नई नई उभर रही आम आदमी पार्टी इस सीट पर पहले ही मुक़ाबले हांफती नज़र आई। बीजेपी के लिए ये जीत किसी सुनहरे पल से कम नहीं रही। क्योंकि राजनीति में नए नवेले प्रवेश वर्मा दिल्ली में बदलाव के उस दौर में चुनाव आसानी जीत गए । जब कांग्रेस सत्ता से जा रही थी । और आम आदमी पार्टी राजनीति में अपना करियर बना रही थी। बस यहीं से प्रवेश वर्मा की हिंदुत्व की राजनीति। उनके काम करने का तरीक़ा। उनका अंदाज लोगों को दिलों पर चढ़ता चला गया।और बीजेपी में उनका भौकाल  बनता गया। इसी का नतीजा है कि इसके तुरंत बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने विश्वास जताते हुए प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को पश्चिमी दिल्ली सीट से चुनावी दंगल में उतार दिया। जिस उम्मीद से प्रवेश वर्मा को बीजेपी ने पश्चिमी दिल्ली सीट से ज़िम्मेदारी सौंपी। उसपर युवा चेहरे प्रवेश वर्मा ने खरा उतरते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल कर ली।  और प्रधानमंत्री मोदी के प्रबल सिपाही बन गए। यानी की मोदी की टीम में शामिल हो गए। और इसी तरह जीत का सिलसिला आगे बढ़ता चला गया । क्योंकि प्रवेश वर्मा पूरी शिद्दत और लगन से पार्टी के लिए डटे रहे ।जुटे रहे।  विरोधियों को राजनीति करते हुए मुक़ाम हासिल करते रहे।

और अब वक़्त आया 2019 के लोकसभा चुनाव का। लगातार जीत हासिल करने वाले प्रवेश वर्मा की काम करने की लगन। और लोगों में बढ़ती उनकी लोकप्रियता को देखकर फिर से बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया। लेकिन इस बार की जीत पहली जीत से कहीं ज़्यादा तगड़ी रही। क्योंकि प्रवेश वर्मा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महाबल मिश्रा को 5 लाख 78 हज़ार 486 वोटों के अंतर से हराया। इस जीत से ना सिर्फ प्रवेश वर्मा ने जीत की हैट्रिक लगाई बल्कि एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी बनाया। लेकिन इसके बाद जब 2024 के लोकसभा का दौर आया तो  बीजेपी ने उनका टिकट ही काट दिया।  ये दौर उनको मायूस करने वाला ज़रूर था। लेकिन दिल्ली में 2019 में बड़ी जीत के बावजूद टिकट ना मिलने से प्रवेश वर्मा के हौसले डिगे नहीं। क्योंकि आगे का रास्ता और बड़े मुकाबले के लिए तैयार था। क्योंकि इस बार सीधे टक्कर देनी थी आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे, पूर्व मुख्यमंत्री पार्टी संयोजक को। दरअसल 2025 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी किसी भी हाल में अपना 27 साल पुराना राजनीति वनवास ख़त्म करना चाहती थी। बीजेपी ने धाकड़ नेताओं की टीम तैयार की। और उसमें प्रवेश वर्मा का भी नाम चुना गया। क्योंकि प्रवेश वर्मा को 2024 का लोकसभा चुनाव ना लड़ाकर इस बार दिल्ली के विधानसभा चुनाव के दंगल में उतारा। हालाँकि चुनाव में उन्हें जिस तरीक़े से आगे किया गया डायरेक्ट तो नहींइनडायरेक्ट तरीक़े से मुख्यमंत्री फ़ेस बताकर चुनाव लड़ा गया और सीधे नई दिल्ली विधानसभा सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा। बीजेपी जानती थी यहाँ मुक़ाबला टफ है। और तो और इस सीट को लेकर मिथ भी था। कि जो यहां से जंग जीत जाएगा। उसकी पार्टी का क़ब्ज़ा दिल्ली के सिंहासन पर हो जाएगा। और वही हुआ। प्रवेश वर्मा तमाम चुनौतियों के साथ नई दिल्ली के चुनावी दंगल में उतरे।
लाइव अपडेट
Advertisement
Captain (Dr.) Sunaina Singh का ये Podcast आपकी जिंदगी में Positivity भर देगा !
Advertisement